Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग- 125( Bloody End of 3rd Semester- 5)

मैं खुद को बिंदास बनाने की हर मुमकिन कोशिश कर रहा था और जो लाइन मुझे मेडिकल स्टोर वाले से कहनी थी उसकी मैने कई बार प्रैक्टिस  भी कर ली थी...लेकिन ना जाने क्यूँ मेडिकल स्टोर के पास आकर मैं शरमाने लगा, मुझे उस मेडिकल स्टोर वाले से protection मांगने मे झिझक महसूस हो रही थी... ऐसी झिझक पहली बार किसी मेडिकल स्टोर से प्रोटेक्शन खरीदने वाले लड़के के अंदर आना बड़ी नॉर्मल बात है लेकिन ये झिझक तब और बढ़ जाती है जब आप ,जहाँ पहली बार ये खरीदने जा रहे हो ,वहाँ अचानक से भीड़ बढ़ जाए. उन लोगो के बीच मुझे प्रोटेक्शन माँगने मे शरम आ रही थी लेकिन मैने खुद को मज़बूत किया और अपनी लाइन्स तीन-चार बार रिवाइज़ करके उस मेडिकल वाले की तरफ देख कर बोला...

"भैया, प्रोटेक्शन देना तो... "

मेरा ऐसा बोलना था कि वहाँ खड़े सभी लोगो ने कुछ  देर के लिए मुझे देखा और फिर हल्की सी स्माइल उनके होंठो पर आ गयी....

"क्या चाहिए आपको..."मेडिकल वाले ने मुझसे पुछा...

"प्रोटेक्शन...प्रोटेक्शन..mf"

"कितना दूं ,एक ,दो..."

"पूरा एक पैकेट  देना "

ये सुनते ही वहाँ खड़े लोगो के होंठो पर फिर से एक स्माइल छा गयी...वहाँ खड़े लोगो का मुझे देखकर ऐसे मुस्कुराना मुझे पसंद नही आया और मैं चाहता था कि जल्द से जल्द अपना समान लेकर चलता बनूँ....

"किस ब्रांड का चाहिए..."मेडिकल वाले ने एक बार फिर मुझसे पुछा...

"जो सबसे अच्छा हो..."

"मानफ़ोर्स दूं, चलेगा..."

"दौड़ेगा...."

"विच फ्लेवर..."

"कोई सा भी दे दे "खिसियाते हुए मैने कहा ,जिसके बाद मेडिकल वाले ने सट्ट से एक पैकेट  निकाला और झट्ट से मुझे दे दिया.... साला वो भी मेरे मजे ले रहा था.
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"कमाल है , ठोके कोई और उसका सुरक्षा कवच लेने मैं दुकान जाउ... "मेडिकल स्टोर से वापस उस चाय वाले की तरफ आते हुए मैं बोला, जहाँ दीपिका मैम  सिगरेट के छल्ले बनाकर धुआ ,हवा मे उड़ा रही थी....

वापस आते समय मैने दूर से देखा कि दीपिका मैम  किसी से मोबाइल पर बात कर रही थी लेकिन मुझे अपनी तरफ आता देख उसने हड़बड़ाते हुए कॉल तुरंत डिसकनेक्ट कर दी...दीपिका मैम  की इस हरकत से मैं थोड़ा चौका ज़रूर लेकिन फिर बात को हवा मे उड़ाकर उसकी तरफ बढ़ा....
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"ये लो मैम , पूरा एक पैकेट  है..."पूरा का पूरा पैकेट  देते वक़्त मुझे फिर से दीपिका मैम  द्वारा मुझे देखकर कॉल डिसकनेक्ट करना...याद आ गया

"थैंक्स  अरमान डियर..."दीपिका मैम  ने प्रोटेक्शन अपने बैग  मे डाला और मेरी तरफ देखकर एका एक मुस्कुराने लगी....

"ये बिन बादल बरसात कैसे हो रही है...बोले तो इस मुस्कान का क्या राज़ है..."

"बस यूँ ही..."बोलते हुए दीपिका मैम  ने   एक और सिगरेट विथ टी का ऑर्डर दिया...जिसके बाद मैं कभी उस चाय वाले की तरफ देखता तो कभी दीपिका मैम  की तरफ....

"ये तीसरा राउंड है "मैने कहा

"यह ! आइ नो, अभी तो दो राउंड और बाकी है..."

"सच "

दीपिका मैम  के ऑर्डर पर उस चाय वाले ने चाय और सिगरेट लाकर दीपिका मैम  को दिया और सिगरेट जलाकर दीपिका मैम  धुआ मेरे चेहरे पर फेकने लगी....दीपिका मैम  का यूँ बार-बार मेरे फेस पर सिगरेट का धुआ छोड़ने से मेरे अंदर भी सिगरेट पीने की इच्छा जाग गयी और जब मुझसे रहा नही गया तो मैने कहा...

"एक कश इधर भी देना..."अपना हाथ दीपिका मैम  की तरफ बढ़ा कर मैने सिगरेट माँगा...

"सॉरी ,मैं अपनी सिगरेट किसी और के साथ शेयर नही करती..यदि तुम्हे चाहिए तो दूसरी खरीद लो..."

"ये नियम किसी और के लिए बचा कर रखना..."दीपिका मैम  जब मेरे चेहरे पर सिगरेट का धुआ छोड़ रही थी तो मैने उनके हाथ से सिगरेट छीन ली और बोला"एक बात पूछूं ..."

"क्या..."मेरी इस हरकत पर मेरा खून कर देनी वाली नज़र से मुझे देखते हुए वो बोली...

"जब मैं वापस यहाँ आ रहा था तो आपने मुझे देखकर कॉल डिसकनेक्ट क्यूँ कर दिया....मैं आपका हस्बैंड तो हूँ नही जो मुझसे अपने अफेयर छुपाओ... मुझे पता है कि आप हमारे कॉलेज कि रखैल हो, जिसकी प्यास कभी नहीं बुझती "

"हां... क्या... Mind your tone."लंबी-लंबी साँसे भरते हुए दीपिका मैम  बोली"तुमने सच कहा ,तुम मेरे हस्बैंड तो हो नही ,जो मैं तुमसे अपना अफेर छिपा कर रखूँगी, वो मेरे नये बॉयफ्रेंड  का कॉल था और तुम्हे बुरा ना लगे इसलिए मैने तुरंत कॉल डिसकनेक्ट कर दिया...."
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"साली मुझे चूतिया बनाती है..."उसको देखकर मैने मन मे कहा....

मैने ऐसा जानबूझकर कहा था कि" मैं उसका हस्बैंड  तो हूँ नही ,जो वो मुझसे अपने अफेयर छिपाये.." ताकि मैं उसका दिमाग़ पढ़ सकूँ, जब शुरू-शुरू मे मैने दीपिका मैम  से कॉल डिसकनेक्ट करने के बारे मे पुछा तो वो घबरा गयी थी लेकिन मेरे द्वारा अफेर वाली बात छेड़ने पर उसने एका एक राहत की साँस ली थी और फिर मुझसे बोली कि उसके बॉयफ्रेंड  का कॉल था,...ऐसा बोलते वक़्त कोई भी दीपिका मैम  को देखकर ये बता सकता था कि दीपिका मैम  झूठ बोल रही थी. उसका गोरा चेहरा एकदम से लाल होने लगा था ,जब मैने उससे कॉल डिसकनेक्ट करने का रीज़न पुछा था... अब जब दीपिका मैम  घबरा रही थी तो ज़रूर कोई घबराने वाली बात उसने फोन पर किसी से की होगी, ऐसा मैने अंदाज़ा लगाया और मुझे देखकर उसका कॉल डिसकनेक्ट करना मतलब वो नही चाहती थी कि मैं उसकी बात सुनूँ.

"तो चले मैम...?"

"कहा...??"

"नरक मे... स्टेशन और कहा... अब आप तो अपने घर ले जाने से रही.. आपको तो किसी दूसरे का पसंद आ गया है,आजकल.. वरना एक टाइम तो श्री अरमान का लेने के लिए हरदम तैयार रहती थी... खैर, बीती चीजों पर और जो बीत रही हो, उसपर अफ़सोस करना मेरा स्टाइल नहीं है.. इसलिए यदि आप मुझे स्टेशन छोड़ने कि कृपा कर देती तो... बहुत मेहरबानी होती आपकी... इसी बहाने थोड़ा और चिपक कर बैठ जाता आपके पीछे..."

"इत्ती जल्दी, जाकर क्या करोगे..अभी तो सिर्फ 5 बजे है..."

"मेरे दोस्त मुझे कॉल कर रहे है.. यदि वो मुझे ढूंढते -ढूंढते यहाँ तक आ गये.. तो जबरदस्ती उठा कर वापस ले जायेंगे हॉस्टल..."

दीपिका मैम फिर से घबराने लगी, उनके हाथ मे मौजूद चाय का कप हिलने लगा और जब मेरी नजर इस पर गई तो मै एकबार फिर से सोच मे पड़ गया..की ऐसी कौन सी बात है, जिसे लेकर दीपिका मैम इतनी घबरा रही है... कही किसी ने दीपिका मैम का mms तो लीक नहीं कर दिया...??

"सच सच बताओ मैम  कि उस वक़्त तुम किससे बात कर रही थी... आप कुछ ठीक नहीं लग रही, कोई परेशानी है क्या

"उसकी तरफ झुक कर मैने गंभीर होते हुए पुछा...

"किसी से तो नही, क्यूँ..."
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"अब हमे चलना चाहिए ,5:30 बज चुके है और चाय वाले की चाय भी ख़तम हो चुकी है शायद..."थोड़ी देर बाद बोलते हुए मैं खड़ा हुआ

"बैठो ना, कुछ  देर यहाँ रुक कर बात करते है..."मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बैठाते हुए दीपिका मैम  बोली...

"हद हो गयी अब तो "उसका हाथ झटक कर मैं गुस्से से बोला"तुझे नही जाना तो मत जा..लेकिन मेरी 6 बजे की ट्रेन है...मैं निकलता हूँ ऑटो से... मै भी बकलोल ही हूँ, आपके जिस्म को स्कूटी के पीछे बैठकर दबाने के चक्कर मे इतनी देर
तक रुका रहा... Bye .."

"Sorry Arman for Everything..."

"कोई बात नहीं.. बुरा लड़किया मानती है, लड़के नहीं... क्यूंकि बुरा मानने वाली चीज लड़कियों के पास होती है "

"I Will Miss You, you know that, Right..."

"Yep... Bitch 😎" गॉगल लगाकर मैने अपना बैग टांगा  और वहा से निकाल कर रोड कि तरफ ऑटो पकड़ने के लिए बढ़ा... कि तभी.......

"ओये लड़के सुन..."किसी आदमी ने ने पीछे से मेरा कंधा पकड़ कर कहा..

"कौन है बे.. लेट हो रहा है ..."

"तेरा बाप,पीछे मूड..."

ये सुनते ही मैं गुस्से से उबलने लगा और तुरंत पीछे मुड़ा. पर पीछे मुड़कर मैं कुछ  देखता ,कुछ  समझता या फिर कुछ  कहता उससे पहले ही मेरे माथे पर सामने से किसी ने किसी चीज से जोरदार प्रहार किया और मैं वही अपना बैग टाँगे सर पकड़ कर बैठ गया, जिसने भी मुझे मारा था उसने पूरी टाइमिंग और पॉवर के साथ मारा था, जिससे कि मेरे कान मे इस वक़्त सीटिया बजने लगी थी और पूरा सर दर्द के साथ झन्ना रहा था...कुछ  देर तक तो मैं वही नीचे अपने सर को पकड़ कर बैठा रहा और जब सामने की तरफ नज़र डाली तो कुछ  दिखा ही नही, सब कुछ धुंधला -धुंधला था. अपनी आँखो को रगड़ कर मैने सामने देखने की एक और कोशिश की लेकिन नतीज़ा पहले की तरह था,मुझे अब भी कुछ  नही दिख रहा था...

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